प्यार-मोहब्बत और भाईचारे के लिए साहित्यिक आयोजन जरूरी,बेकल उत्साही निराला,नजीर और नागार्जुन की परंपरा के कवि थे,जस्टिस टंडन।

प्यार-मोहब्बत और भाईचारे के लिए साहित्यिक आयोजन जरूरी,बेकल उत्साही  निराला,नजीर और नागार्जुन की परंपरा के कवि थे,जस्टिस टंडन।



रुड़की।


रिपोर्ट इमरान देशभक्त 


एआईसीओआई के तत्वावधान में पद्मश्री बेकल उत्साही की याद में हुई काव्यांजलि और बज्मे-सुखन कार्यक्रम में प्रसिद्ध शायर और पूर्व राज्यसभा सदस्य पद्मश्री बेकल उत्साही को किया याद गया। हरिद्वार रोड स्थित एक पैलेस में हुए इस काव्यांजलि कार्यक्रम में नैनीताल हाईकोर्ट लोक अदालत के अध्यक्ष जस्टिस राजेश टंडन ने कहा कि समाज में प्यार-मोहब्बत और भाईचारे को बढ़ाने के लिए साहित्यिक आयोजन बहुत जरूरी है।जस्टिस टंडन ने ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ इंटेलेक्चुअल (एआईसीओआई) के तत्वावधान में प्रसिद्ध शायर,पूर्व सांसद पद्मश्री स्व०बेकल उत्साही की जयंती पर आयोजित काव्यांजलि और बज्मे-सुखन कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।देर रात तक चले इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शायर बेकल उत्साही ने राज्यसभा सदस्य रहते हुए कौमी एकता को बढ़ावा देने के लिए बहुतेरे कार्य किए।उनके गीत-गजलों में गंगा-जमुनी तहजीब बहती थी।उन्होंने कहा कि बेकल जी निराला,नागार्जुन और नजीर अकबराबादी की परंपरा के कवि थे।मुख्य अतिथि रासबिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो०डॉ०हिमांशु एरन ने कहा कि वह कौमी एकता के हिमायती हैं,इसलिए उनके महाविद्यालय और कैंपस के नाम भी देशभक्तों के नाम पर रखे गए हैं।उन्होंने कहा कि कविता का मंच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का सशक्त माध्यम है।जम्मू-कश्मीर के सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व एमएलसी सैयद फरीद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक राष्ट्रीय एकता का हिमायती है और पाकिस्तान का प्रबल विरोध करता है।उन्होंने कहा कि सन् 1947 में मुस्लिम रियासत होने के बावजूद कश्मीर की जनता ने पाकिस्तान को नकार कर भारत की धरती से जुड़े रहने का संकल्प लिया।उन्होंने कहा कि कश्मीर में जिस तेजी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व विकास हुआ व आजादी के बाद एक इतिहास है।एआईसीओआई के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट प्रकाश निधि शर्मा ने कहा कि उनकी संस्था राष्ट्रीय एकता,अखंडता और भाईचारा बढ़ाने के लिए साहित्यिक आयोजन करती रही है तथा समाज में उल्लेखनीय योगदान के लिए विभूतियों का पूरे देश मे सम्मान भी करती है।


राजकीय महाविद्यालय मसूरी में प्रोफेसर डॉ०प्रमोद भारती ने मरहूम शायर पद्मश्री बेकल उत्साही को लेकर अपने अनुभव साझा किए।इस अवसर पर अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गई। शकार्यक्रम में इंजीनियर एसए अंसारी,दीपक अरोड़ा,सरस्वती रावत आदि मौजूद थे।इससे पहले प्रसिद्ध शायर एवं उर्दू अकादमी उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष अफजल मंगलौरी और कार्यक्रम की आयोजक शायरा मोनिका मंतशा ने अतिथियों का स्वागत किया।कार्यक्रम की शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप जलाकर की गई,इसके बाद काव्य पाठ शुरू हुआ।प्रसिद्ध कवि उपायुक्त,राज्य कर उत्तराखंड कुमार विजय 'द्रोणी' ने अपनी गजल 
'मैं दिल में अपने इक गांव लिए फिरता हूं।
शहरों के सागर में टूटी नांव लिए फिरता हूं।।से खूब तालियां बटोरी। प्रसिद्ध कवयित्री अरूणा वशिष्ठ ने अपनी कविता 'गांव से पलायन कर रहे हैं आज गांव रो रहा है,मुझे आवाजें आई रोने की सिसकने की,मैंने पास जाकर पूछा तुम क्यों रो रहे हो उसने कहा तुम मुझे अकेला क्यों छोड़ रहे हो' से उत्तराखंड में हो रहे पलायन का दर्द बयां किया, शजिसे काफी सराहा गया।

प्रसिद्ध शायर अफजल मंगलौरी ने देशभक्ति से ओतप्रोत गजल 'मेहनत से और तरक्की से हिंदुस्तान को,सोने की चिड़िया फिर से बनाने का वक्त है' से महफिल लूट ली।पत्रकार एवं शायर दर्द गढ़वाली ने अपने दो शेरों 'क्या-क्या चीजें रख रक्खी थी बक्से में।बंद पड़ी थी यादें सारी बक्से में। पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ कहता था। चलता था जो लेकर आरी बक्से में' से श्रोताओं की दाद बटोरी।पत्रकार एवं शायर परमवीर कौशिक ने अपने कलाम 'मुस्लिम की हूं इज्जत यारो हिंदू का सम्मान हूं मैं,मेरे अंदर झांककर देखो गीता हूं,कुरआन हूं मैं' से राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए प्रसिद्ध शायरा मोनिका मंतशा ने अपने दो शेर 'इसी तरह से फकत मुझमें जान बाकी है,किसी फकीर में जैसे जहान बाकी है। तिरे बगैर यूँ वीरान हो गई हूँ मैं,चला गया है मकी बस मकान बाकी है।' सुनाकर महफिल को ऊंचाइयों पर पहुंचाया।प्रसिद्ध शायर असलम खतौलवी ने अहमदाबाद विमान हादसे को अपने शेर में 'ये बात सच है मुकद्दर से जिद नहीं करते,हवाएं काट रही हैं उड़ान लौट चलें' बयां कर तालियां बटोरी।गीतकार भूपेंद्र बसेड़ा ने अपनी कविता 'कलियुग ने कैसे दिन और दिखाने हैं' से समाज में निरंतर हो रहे पतन को व्यक्त कर श्रोताओं को सोचने को मजबूर कर दिया।प्रसिद्ध कवयित्री रश्मि चौधरी ने देशभक्ति रचना सुनाकर वाहवाही लूटी।इस अवसर फिरो अहमद,मुख्यमंत्री के निजी सचिव बीएस बसेड़ा ने बेकल उत्साही के नाम पर कोई पुरस्कार संस्था द्वारा जारी करने की मांग की।