*जिलाधिकारीश्री सबिन बंसल का शिक्षा माफियाओं पर चला डण्डा,तो बैकफुट पर आये नीजि स्कूल/कालेज**

**जिलाधिकारीश्री सबिन बंसल का शिक्षा माफियाओं पर चला डण्डा,तो बैकफुट पर आये नीजि स्कूल/कालेज**।
                 मा0मुख्य मंत्री उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी के निदेॅश पर जिला प्रशासन के हाथ,जब पहूँचे शिक्षा माफियाओं के गिरेबान तक,तो अब सुधरने लगा नीजि स्कूलों का फीस स्ट्रैक्चर ।इसी का प्रभाव है कि दि प्रेसीडेंसी इन्टरनेशनल स्कूल भानियावाला का लिखित रूप से फीस कम करने का जिला प्रशासन को पत्र। अब देखना यह है कि कितने नीजि विधालय फीस कम करते हैं ।तथा कितने पुस्तक/स्टेशनरी विक्रेता पुस्तक/स्टेशनरी के मूल्य कम करते हैं । जिलाधिकारी श्री सबिन बंसल के निदेॅशन में शिक्षा माफियाओं पर निरन्तर कार्यवाही की जा रही है ।अभिभावकों से फीस के नाम पर वसूली की शिकायतों पर जिला प्रशासन द्दारा शहर के कई नामी-गिरामी नीजि स्कूलों पर कार्यवाही से शिक्षा माफियाओं के हौसले पस्त हुए हैं ।वहीं बड़े-बड़े स्कूलों का फीस बढ़ोतरी का खेल भी सामने आया है ।फिस बढ़ोतरी पर जिला प्रशासन की जीरों टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए हैं ।
           जिला प्रशासन के कड़े रूख और निरंतर प्रर्वतन की कार्यवाही से जहां नीजि नामी-गिरामी स्कूलों के तेवर ढीले पढ़ गये हैं ।वहीं स्कूल प्रबन्धन अब अपनी फीस घटा रहे हैं । जैसा कि ताजा मामला दि प्रेसीडेंसी इन्टरनेशनल स्कूल भानियावाला का है । जिला प्रशासन की दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे अब शिक्षा माफियाओं के हौसले नहीं टिक पास रहे हैं ।जिससे जिले के क नामी-गिरामी स्कूल अब मनमर्जी फीस बढ़ोतरी पर आये दिन बैक-फूट पर आ गये हैं ।
         जिला प्रशासन ने जैसे ही सख्ती दिखाई तो धीरे-धीरे स्कूल की फीस बढ़ोतरी का खेल भी खुलने लगा । दि प्रेसीडेंसी इन्टरनेशनल स्कूल भानियावाला का मामला सामने आया है । जहां 100से अधिक अभिभावकों ने फीस बढ़ोतरी की,की थी शिकायत । बिना मान्यता के स्कूल संचालित होने पर प्रशासन ने लगाई रू0-5,20,000/--का जुर्माना(शास्ती) लगाई थी । अब स्कूल प्रबन्धन द्दारा जिला प्रशासन को लिखित रूप में फीस कम करने का पत्र दिया है ।(कापी संलग्न) ।
     यदि ऐसा ही प्रशासन,झुकने वाला न हो,झुकाने वाला हो तो शिक्षा की दशा और दिशा पटरी पर आ सकती है,और यह कार्य जिलाधिकारी श्री सबिन बंसल ही कर सकते हैं ।
       इस सम्बन्ध में बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि,जो स्कूल प्रतिवर्ष हर विषय का सैलेबस बदलते रहते हैं ,उन पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। ताकि पुरानी किताबें नये बच्चों के अगले साल काम आ सके ।।